जब किसी का संग अच्छा लगने लगे
जब कोई मन से सच्चा लगने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब छल छल बहते पानी में
रवानी नज़र आने लगे
जब दिल की धडकन गुनगुनाती सी
गीत नया गाने लगे
जब किसी को देख सुरूर सा छाने लगे
अचानक ही जुबां लड़खड़ाने लगे
जब बन संवर कर आईने के सामने
चेहरा खुद से ही शर्माने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब दिल बहाने बना बना कर
खुद को ही छलने लगे
जब दिल की नाव अकेले ही
बिन पतवार के चलने लगे
जब सांस किसी को देख, थमने लगे
नज़र खुद ब खुद झुकने लगे
किसी की पलकों से गिरे शबनम
ओर आपकी आँखों में रुकने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब चाँद ढलते-ढलते यूँ ही
नब्ज़ कभी कभी बढ़ने लगे
जब जिन्दगी पिंजरे में
पंछी सी तड़पने लगे
जब गुत्थी खुद सुलझने लगे
और जिन्दगी उलझने लगे
जब राह स्वयं मुड़ने लगे
जब कटी पतंग फिर उड़ने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब किसी की हाँ में हाँ
मिलाने को दिल करने लगे
जब किसी को अपने हाथों से
खिलाने को दिल करने लगे
अपने आप ही जब अचानक
किसी से हमदर्दी हो जाए
किसी को बस यूँ ही
देखने-दिखाने का दिल करने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब नींद आते ही
सपना घेरने लगे
अन्जान अजनबी कोई
जब अपना लगने लगे
सुबह की लाली देख
जब नया उत्साह
दिल में भरने लगे
जब शाम हो तो दिल बस
किसी का इंतज़ार करने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
जब अचानक ऐसे ही रातो में
तारे गिननें का ख्याल आने लगे
जब माथे पर बल अचानक आ जाएँ
ओर आँखों पर लट का बाल आने लगे
बात बात में जब लाज-शर्म
ओर गालों पर गुलाल आने लगे
जवाब जानते हैं हम पर
फिर भी सवाल आने लगे
तो समझ जाओ – मामला गड़बड़ है
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गुरचरन मेह्ता
sach kahaa aaapne maamlaa gadbad hai bht khoob likhaa hai apne
अभी आपकी “तो बता देना” पढ़ने के बाद इस अति सुन्दर रचना को पढ़ा. कितना सटीक, मार्मिक और क्या खूब लिखा है आपने. सचमुच पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.