(1)
कन्या धान मीनै जौ।
जहां चाहै तहंवै लौ।।
{कन्या की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।}
(2)
कुलिहर भदई बोओ यार।
तब चिउरा की होय बहार।।
{कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है-अर्थात् वह धान उपजता है।}
(3)
आंक से कोदो, नीम जवा।
गाड़र गेहूं बेर चना।।
{यदि मदार खूब फूलता है तो कोदो की फसल अच्छी है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगते है तो जौ की फसल, यदि गाड़र (एक घास जिसे खस भी कहते हैं) की वृद्धि होती है तो गेहूं बेर और चने की फसल अच्छी होती है।}
(4)
आद्रा में जौ बोवै साठी।
दु:खै मारि निकारै लाठी।।
{जो किसान आद्रा में धान बोता है वह दु:ख को लाठी मारकर भगा देता है।}
(5)
आद्रा बरसे पुनर्वसुजाय ।
दीन अन्न कोऊ न खाय।।
{यदि आर्द्रा नक्षत्र में वर्षा हो और पुनर्वसु नक्षत्र में पानी न बरसे तो ऐसी फसल होगी कि कोई दिया हुआ अन्न भी नहीं खाएगा।}
(6)
आस-पास रबी बीच में खरीफ।
नोन-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।।
{खरीफ की फसल के बीच में रबी की फसल अच्छी नहीं होती।}