कहें क्या गल्ती हमने तो यही हर बार कर ली है
तेरे तानो की तो सीमा अब हमने पार कर ली है
दिया है मौक़ा हर बार तुम्हे हमने सुधरने का
तेरे संग जिन्दगी ये हमने दुशवार कर ली है
जवानी के वही दिल वो नज़ारें ला भी दूँ मैं तो
कभी जो तुमसे बिछड़े थे सहारे ला भी दूँ मैं तो
मगर जो वक़्त बीता वो ना फिर लौट के आयेगा
कहो तो आसमां चाँद तारें ला भी दूँ मैं तो
किसी की बात न मानी तुझे मैं जान न पाया
कई किस्से कहानी थे, मगर मैं मान न पाया
सभी कहते थे कि जैसी है ये दिखती नहीं वैसी
कम्बख्त दिल भी ये तुझको पहचान न पाया
तुम्हारे संग रह कर तो गुज़ारा हो नहीं सकता
के मैं गहरा समंदर हूँ किनारा हो नहीं सकता
तूने छोड़ा अपनों को मेरी जिद्द के कारण क्यूँ
जो अपनों का ना हुआ वो हमारा हो नहीं सकता
जहाँ बस्तें हैं इंसान हम वहीँ शहर बनाते हैं
लोग छु लें ऊंचाइयों को हम वो पर बनाते हैं
कभी जो देखना चाहो तो बेशक आज़मा कर देखना
मकां तो सब बनाते हैं मगर हम घर बनाते हैं
best poetry
bht khoob gurcharan jii
किसी की बात न मानी तुझे मैं जान न पाया
कई किस्से कहानी थे, मगर मैं मान न पाया
सभी कहते थे कि जैसी है ये दिखती नहीं वैसी
कम्बख्त दिल भी ये तुझको पहचान न पाया
राजेश जी
मुस्कान जी
बहुत बहुत धन्यावाद,