तन्हाइयो मे जीना अपने अहम के कारण जिन्हे अच्छा लगता है,
खुद ही जल जाते है उस आग मे जिसे हवा वो देते हैं !!
अपने ही घर की खुशियो को बाहर का रास्ता दिखाते है,
अहंकार ए दुश्मन को घर मे बसा लेते है !!
जिन्हे कदर नही रिश्तो की स्वार्थ मे जीते है,
वो तन्हा ही रहते है उमर भर इल्जाम दूसरो को देते है !!
न था कुछ तेरा यहां, न रहेगा तेरा कुछ यहां,
फिर क्यो झूठे अहम मे परिवार बिखर जाते है !!
अहंकार खा जाता है इन्सान की समझ को,
जो खुद को जलाकर रोशन करते है अपने अहम की शमा को !!
31 MAY 2013
सुन्दर रचना है.
जिन अहंकारियों के लिए आपने लिखा है
उन्ही के लिए दो लाइन.
समय की बात न कर तू समय तो बीत जाएगा
अभी तेरा समय है तू सभी से जीत जाएगा
तू किससे मुंह छुपायेगा, खुलेगा जब तेरा चिट्ठा
गिरेगा एक दिन ऐसा कि औंधे मुंह की खायेगा
बहुत खूब लिखा आपने !!
धन्यवाद !!
Human beings are very strange.
They have ego of their knowledge
but, they don’t have knowledge
of their ego.