टिप-टिप जब कुछ बूंदे गिरीं अम्बर से,
जाने तो कहाँ थे हम और कहाँ खो गये।
ख़ुद से किया था वादा दूर नहीं होंगे हम,
कोई अब देखे कितनी दूर तुमसे हो गये।
कभी याद आती हैं वो बातें जो की तेरे संग,
कभी याद आते हैं वो रास्ते जो खो गये।
सिर्फ़ एक सोच ये कचोटती है अन्दर तक,
इससे पहले क्या थे हम, और अब क्या हो गये।
क्या मैं वही आज हूँ, क्या होगी तू भी आज वही,
ग़र नहीं तो बता वो दोनों कहाँ खो गये।
दुनिया की भीड़ थी, या सोयी तक़दीर थी,
या बंदिशों के सागर में ग़ुम दोनों हो गये।
जाने इस बारिश का हमने बिगाड़ा है क्या,
पड़ती है दिल पे ऐसे जैसे शमशीर है।
देखता हूँ पार जब बूंदों के खड़ा हुआ तो,
बूंदों ही पे तेरी बन जाती तस्वीर है।
ज़िन्दगी ये प्यार है या प्यार ज़िन्दगी है कोई,
या तो सिर्फ़ मौत ही इस दुनिया की रीत है।
बाद ज़िन्दगी के कहते हैं मौत आती है तो,
शायद इसी में अपने प्यार की जीत है।
– हिमांशु