क्या मैं तुम पर कुछ पंक्ति लिखूँ,
क्यों लिख पाऊँ तुम पर कविता ।
व्यक्तित्व विराट तुम्हारा है,
शब्दों में समा नहीं सकता ।
व्यक्तित्व तुम्हारा अति विराट,
लेखनी हमारी शिथिल है ।
हो अद्वित्तीय, अनुपम हो तुम,
कल्पना हमारी दुर्बल है ।
मेरी इतनी सामर्थ्य कहाँ,
व्यक्तित्व तुम्हारा वर्णित हो ।
कुछ ‘शब्दांजलि’ ले आया हूँ,
इनको चाहो तो ग्रहण करो ।
– हिमांशु