यह मेरे राष्ट्र का नायक है, यह मेरे राष्ट्र का नेता है I
है लिप्त ये कांड ‘हवालों’ में, जन-नौका का यह खेता है II
जब समय चुनावों का आया, बन गया नम्रता का प्रतीक I
कुछ दिन का जनसेवक बनकर, सबके हृदयों को लिया जीत II
सत्ता हाथों में आने पर, सबकुछ विस्मृत हो जाता है I
जनरक्षक जनभक्षक बनकर, फिर अपना रूप दिखता है II
सब कर्तव्यों को भूल गया, बस अधिकारों से नाता है I
वादे तो बड़े-बड़े करता, निभाना किन्तु न आता है II
कहलाता है यह जनसेवक, जन से ही सेवा लेता है I
कृतघ्नता और कुटिलता में, यह मात सभी को देता है II
जनता को हुआ अलभ्य आज, सेवा में लेश न निष्ठां है I
यह मेरे राष्ट्र का नायक है, यह मेरे राष्ट्र का नेता है II
– हिमांशु