बंद कमरे मे गूँजती खामोशी
कई सिलवटें माथे पर
और कुछ सीने पर भी
दिल और दिमाग़ की
प्रतिस्पर्धा चल रही है
वो रेत जिन्हे हम
पिछले मोड़ पर छोड़ आए थे
हमारा पीछा करती हुई
आँखो मे आ पड़ी है
गुज़रा हुआ पल गुज़रता नही
वक़्त का तूफान उन्हे एकदम
अचानक ला धमका है
सागर मे से मोती
चुनकर निकाला था उसने
अब आँसुओं से अपने
कीमत चुका रहा है
क्या ज्यादा कीमती था
मोती या आँसू
कौन बता सकता है
ज़िस्म के बाज़ार मे
आँसुओं की कीमत नही
सीप मोतिओ को
मुफ़्त मे बाँटता है
हर परिस्थिति का
अपना एक पहलू है
द्वंद तो ये है
दिल और दिमाग़ की लड़ाई में
कौन जीतता है
सुलोचना
simply superb