रिश्तो की शाकें टूटी है,
अपने पेडो से छूटी है,
बेवजह ही तोड गया कोई,
अब मिलने को तरसती है !!
बिखरा के जीवन पन्ने को,
खुश है वो तन्हा जीने को,
अपनी ही जडे कात चुका,
वो मार कुल्हाडी फेरो को !!
समझेगा जब गलती अपनी बिखरेगा फर्श पे रेत सा,
ख्वाबो को रोन्दा पैरो से सासो को कैद् किया जबरन,
आन्सु का पानी पी पी कर खुद सन्नटे मे खो जाएगा,
वो दिन भी कभी आएगा उसे पानी न मिल्ने पाएगा,
आन्खो से बरसेगा लेकिन दो घून्ट न मिलने पाएगा !!
15 May 2013
रिश्तो की शाकें टूटी है,
अपने पेडो से छूटी है,
बिखरा के जीवन पन्ने को,
खुश है वो तन्हा जीने को,
आन्सु का पानी पी पी कर खुद सन्नटे मे खो जाएगा,
आन्खो से बरसेगा लेकिन दो घून्ट न मिलने पाएगा !!
अति सुन्दर.
bht bht shukriyaa gurcharan jii