जब से मैं तेरी दीवाना हो गया
तब से तुमने मेरी यादों की बरसात गिराया
याद आती है मेरी गाँव की, उधर की हवओं की
वो सुबह की रोशिनी की , वो शाम की तनहाइयाँ
जब से तुम्हारे साथ मेरे पल को निवेश किया
तब से मिली गरम सुलैमानी में मोहब्बत का एहसास
ये चिड़ियों भी तुमें इतना चाहता हे
नाचे आए तेरे आँगन में , और हमरी भी मन बहलायें
इन पेड़ों की छाव नें हमको दिलाया
मन में शान्तता की जाल सिलाया
पत्तों के बीच से गगन की मंजुल चमकने लगी
और वो गगन अपनी आंखों से हमको इशारा करने लगी
जब से तुम्हारी गोद में बैटने लगी
तब से लगने लगी की चारों और प्रकृति भी नाचने लगी
गुलाम अली की ग़ज़ल ले चली प्रेम गगन में
तुमें छोडके सो जाऊं कैसे , तुम्हारी गोद में ही सुबह निकालूं
very nice go on
Thanks Mr.Bastawy.
आपने लिखा….
हमने पढ़ा….
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 11/05/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ….
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
shukria Yashodha!