जामे तेरे हाथो की किमत थी कुछ ऐसी
तेरे इश्क ने मुझे दिवाला बना दिया
ये पायल की झंकार से जो टुटी मेरी महल
तेरे इश्क ने उसे घुड्शाला बना दिया
नवाब थे हम भी अपने सल्तनत की
तेरे इश्क ने मुझे निराला बना दिया
अर्जी चड़ाई जाती हमारी दहलिज मे
तेरे इश्क ने उसे मधुशाला बना दिया
दौलत थी पास मे तो हर शाम रंगीन थी
तेरे इश ने मुझे घरवाला बना दिया