आज शाम घर जाते हुए,
सूखे दरख्तों के साये से गुजरते हुए,
तेरी हर बात आखों में आंसु ले आयी !!
लहरों की रेत पे चलते हुए,
तेरा नाम अपने होठों से लिखते हुए,
तेरी हर बात यादों के हार ले आयी !!
किताब मे रखे गुलाब को देखते हुए,
तेरे हर तोह्फे को नजर करते हुए,
तेरी हर बात होठों पे हसीं ले आयी !!
रातों को जागते हुए,
तन्हा अकेले उन रास्तों से गुजरते हुए,
तेरी हर बात कागज पे नग्मा बन आयी !!
4 May 2013