चेहरे पे चेहरा लगाया ये बहुत अच्छा किया
अन्धो को दर्पण दिखाया ये बहुत अच्छा किया ।
आप ही हैं न्याय की दुनिया के सच्चे बादशाह
कातिलो को घर बुलाया ये बहुत अच्छा किया ।
आदमी की खाल तक खेंची है हन्टर से मगर
पत्थरों को सर झुकाया ये बहुत अच्छा किया ।
दोस्ती पर जिनकी हमको बहुत ही नाज था
पीठ मे खन्जर घुसाया ये बहुत अच्छा किया ।
जो भी गद्दी पा गये बस हांकते अपनी रहे
गीत बहरॉ को सुनाया ये बहुत अच्छा किया ।
जिसको सदा दी प्यार से अजनबी वो बन गया
“दास” को दुशमन बनाया ये बहुत अच्छा किया ।
आपकी मासुमियत पर जब हुआ कोई फिदा
रुप नागन का दिखाया ये बहुत अच्छा किया ।
शिवचरण दास
आपकी गजल का जवाब नहीं, विशेषकर ;
दोस्ती पर जिनकी हमको बहुत ही नाज था
पीठ मे खन्जर घुसाया ये बहुत अच्छा किया ।
सुन्दर रचना के लिया बधाई.
आप ही हैं न्याय की दुनिया के सच्चे बादशाह
कातिलो को घर बुलाया ये बहुत अच्छा किया
sahii !!
जो भी गद्दी पा गये बस हांकते अपनी रहे
गीत बहरॉ को सुनाया ये बहुत अच्छा किया
वाह वाह क्या बात है बधाई श्रीमान
very nice