जिन्दगी तु आज मुझको ए बता । कहाँ है तेरी मंजिल मुझको दे पता ।।
1- तुझको ढुढ़ा गीता और कुरान मेँ ।
असफल हुआ मै इस जहाँन मेँ ।।
बडे कठिन सफर है कर सहायता ।
कहाँ है तेरी मंजिल……जिन्दगी तु आज मुझको……
2- माँगी थी मैँने इक खुशी तेरे लिए ।
गम भी नहीँ मिला मुझे मेरे लिए ।।
हो गयी है मुझसे क्या कोई खता ।
कहाँ है तेरी मंजिल…..जिन्दगी तु आज मुझको……
3- राह मेँ ही छोड़ के तु क्योँ गया ।
मैँ ढुढ़ता रहा तुझे तु खो गया ।।
हर वक्त बस रहा हूँ मैँ भटकता कहाँ है तेरी मंजिल….जिँदगी तु मुझको…..
4- सुना था मैँने तेरे ही इस नाम से ।
डर गया मैँ कस्ती और तुफान से ।।
इसलिए हूँ तुझको मै पुकारता ।
कहाँ है तेरी मंजिल…..जिँदगी तु मुझको…
5-मुझको भी तु ले चल अपने साथ मेँ ।
ना बीत जाये उम्र अँधेरी रात मेँ ।
तेरे बगैर खुदा से कुछ न माँगता ।
कहाँ है तेरी मंजिल…..जिँदगी तु मुझको…
जिन्दगी तु आज मुझको ए बता ।
कहाँ है तेरी मंजिल मुझको दे पता ।।