अभी ठहरे,हवाओँ का,जरा रुख तो बदल जाये।
उसे रोको,रूके वो आज,जाना हो तो कल जाये ॥
सुबह की बर्फबारी से,सङक तोढक चुकी होगी।
पिघलते फर्श मे फँसकर,न देखो वो फिसल जाये॥
अभी कुछ पल ही तो पहले,वो शागुफ्ता था कितना।
नया आफताब ये कैसा.सुबह होते ही ढल जाये।।
लो मुझसे लम्स आँचोँ की,जलालो प्यार की शम्मा।
क्या पता,इस बार उसका दिल पिघल जाये।।
जभी बिकने गया बाजार मेँ,हक़दार मिलते है।
तुम्हे हक़ चाहिये,देखो न खरीददार मिल जाये।।
मुझे कल ही पता था कि-नया फ़रमान आयेगा।
ये अबकी आखिरी मौका,न देखो ये निकल जाये।।
कभी उसने कहा था कि-दुआओँ से सँभलता हूँ।
कोई बैठा है सजदे मेँ,कि-येकिस्मत बदल जाये।।
मेरी खामोश गलियोँ मेँ,तङपता है नया तूफाँ।
दलीलोँ की नुमाईश क्या,बुरामंजर ये टल जाये।।
कहा उसने-दुआयेँ दूँगा,तुम अबकी ज़रा ठहरो।
मैँ हूँ खामोश कि-नादान के सपनेँ न जल जाये।।
दुआयेँ दो मगर इतनी ही कि-मुश्किल उसे ना हो।
कहीँ फेहरिस्त पढ़ने मेँ ही,ना ये उम्र ढल जाये।।
शुभम् श्रीवास्तव ‘ओम’
सुन्दर
धन्यवाद