ख्वाब बन पलकों में रहते हैं,
अश्क बन आँखों से बहते हैं,
वो हमारे दिल में,
हम उनके दिल में रहते हैं !
बेकरारी उनसे है,
चैन उन्ही से पाते हैं,
दिल में धड़कन बन,
शरीर में रूह बन के रहते हैं !
इंतज़ार एक उन्ही का,
हर आहट पे करते हैं,
शायद उन्हें खबर भी नहीं,
दिल-ओ-जान से उनपे मरते हैं !
सासों में बसे हैं वो,
उनके नाम से ही जीते हैं,
वो हमारे दिल में,
हम उनके दिल में रहते हैं !!
-श्रेया आनंद
क्या बात है श्रेया अनन्द जी
shukriya
प्यार तुम ने इतना भरा अपनी नज्म मे
की खुद ही प्यार की मिसाल लग रही हो
तुम्हारे नूर की मोहब्बत चाहेंगे कि
तुम शम्मां-ए-मोहब्बत बेमिसाल लग रही हो..
Shukriya 🙂