बगिया मे फूलो की तरह थिरकते हैं ये नन्हे कदम,
हवा के झोंकों की तरह बह्ते है ये नन्हे कदम ।
कभी संसार के दर से मा की गोद मांगते ये नन्हे कदम
कभी जग जीत लेने की ख्वाहिश से तेजी से दौडने लगते है ये नन्हे कदम ।
सर्दियो मे कपकपाते हुए धीरे धीरे लड्खडाते है ये नन्हे कदम
गिर कर खुद ही संभल जाते है कभी वही मचल जाते है ये नन्हे कदम ।
देख्कर इनके बडते कदम सोचती है मुस्कान कल जब ये दरख्त बन जायेंगे दूर हमसे हो जायेंगे
जैसे हम भूल गये अपना घर आंगन एक दिन हमे भी भूल जायेंगे ये नन्हे कदम ।
15 April 2013
Very touching .. Mothers love can be felt .. 🙂
@Tejinder:Thanks dear 🙂
Maa ka pyaar bakhubi chalak raha hain ismein 🙂
bahunt hi sundar