द्वीप के उस हिस्से में
जहाँ मैं बड़ा हुआ
चीलें मंडरा रहीं हैं घरों के आस-पास
वे चीलें जिनके पंजे लोहे से बने हैं
जिनकी चोंचो की धार में
समा गया है सारा ब्रह्माण्ड
कुरकुरे की पन्नियों से ज्यादा चमकदार
बोतलबंद सोडे से ज्यादा मारक हैं
उनकी निगाहें
चमकदार विज्ञापन वाली चीलें,
निर्देशित कर रही हैं फ़िल्में, कला, आलोचना, नामवरी दहशत
सकुनियों के देश
फलफूल रहा है
कब और कहाँ लुटने वाला तंत्र खड़ा है
प्रधानमंत्री भी नहीं जानता
वे आम चीलें नहीं हैं
उनका कद अरब के गिद्धों से बड़ा है
अमेरिकी हाथों से चौड़ा
रवायती सांप और चीलें अब दोस्त हैं
सावन की यह दोस्ती गुल लुटने तक कायम है
बलात्कारी संस्कृति में
सांप की आँखों में चमक तेज है
चमक तेज है कि असहाय चूहे घूम रहे हैं दर-बदर
उनके अपने गोदाम नहीं
उनके मरने की जगह निर्धारित है
बिल्लियों के मजबूत पंजों में
हवन हो रहा है
असंतुष्ट आग तेज जल रही है
धीरे-धीरे ठंडी हो जायेगी मृत्युक्षुधा
कुछ लोग फूंकमारकर जिन्दा रक्खेंगे मुर्दा जान
वहशीपन जिन्दा रखने के लिए
चीलें मेरे बहुसंस्कृति वाले द्वीप का आइकॉन हैं
उन्होंने अपना रूप सफ़ेद कर लिया है
इस चिरकुट देश में
जिन्हें सांप से भी डर लगता है और चीलों से भी
सावधान रहें
कोई जालिम भूख उन्हें खा जायेगी!
चीलें अमर हैं
अब वे खानदानी हो गई हैं