सूत्र : र ज र ज र ल र ज र ज र
(रगण जगण)x2 +रगण+लघु, (रगण जगण)x2 +रगण
राजभा/जभान/राजभा/जभान/राजभा/ल
राजभा/जभान/राजभा/जभान/राजभा
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छोड़ अंग अर्ध-नग्न भूल वस्त्र देख तंग,
काम का करें विनाश धर्म-कर्म लाइये.
लोक-लाज खो गयी समाज में दिखे अनीति,
नीति-रीति पाठ आज, विश्व को पढ़ाइये.
अंग-भंग ही करें बलात-कर्म है निषिद्ध,
देवियाँ यहाँ अनेक पाठ ये सिखाइये.
शील-भंग हो नहीं बलात मित्र लोक मध्य,
शत्रु लाज लूटते स्वदेश में बचाइये..