न सागर की लहरों की बात करता हूँ,
न कुर्सियों पर बैठे अन्धे गूंगे ओर बहरों की बात करता हूँ
न साहिल की बात करता हूँ, न तूफानों की बात करता हूँ
न ही घर जैसे दिखने वाले कुछ मकानों की बात करता हूँ
न देवदार के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों की बात करता हूँ
न ही खून पीने वाले अपने भाई भक्षों की बात करता हूँ
न आगाज की बात करता हूँ, न अन्जाम की बात करता हूँ
मै जब भी करता हु दोस्तो बस काम की बात करता हूँ ।
न दुल्हन की बात करता हूँ, न शहनाई की बात करता हूँ
न महफिल की बात करता हूँ, न तन्हाई की बात करता हूँ
पल-पल हर पल बढ़ रही है जो मेरी बिटिया की तरह
मै तो बस उस महंगाई की बात करता हूँ ।
न कोलकता के बनार्जियों की बात करता हूँ,
न मुम्बई के ठाकरों की बात करता हूँ
न यु. पी. बिहार के यादवों की बात करता हूँ
न हरियाणा के चोटालों की बात करता हूँ
हमारा पैसा-हमारा देश-हमने चुना-हम ही लुटे
मै तो बस हर रोज घट रहे घोटालों की बात करता हूँ ।
न तहजीब की बात करता हूँ, न आदाब की बात करता हूँ
न अफजल की बात करता हूँ, न कसाब की बात करता हूँ
इतने सालो मे इनकी सुरक्षा मे जनता के कितने पैसे लगे
मै तो बस उस हिसाब की बात करता हूँ ।
न रोग की बात करता हूँ, न उपचार की बात करता हूँ
न उपकार की बात करता हूँ, न परोपकार की बात करता हूँ
आत्मा है छ्लनी छ्लनी मेरी और देश लहुलुहान
मै तो अपने देश मे फैले भ्रष्टाचार की बात करता हूँ ।
न रंगों की बात करता हूँ, न फुहार की बात करता हूँ
न दिल मे छुपे हुए किसी गुबार की बात करता हूँ
पर लगता है अब बातो से बात न बनेगी
इसलिये इस पार या उस पार की बात करता हूँ ।
न सौन्दर्य की बात करता हूँ, न श्रृंगार की बात करता हूँ
न किनारे की बात करता हूँ, न मझधार की बात करता हूँ
मेरे पड़ोस में रहता है सियार नाम का एक भेड़िया
मै तो बस उसके संहार की बात करता हूँ ।
न जंग की बात करता हूँ, न तलवार की बात करता हूँ
न राख की बात करता हूँ, न अन्गार की बात करता हूँ
हर हाल में खुश रहना है दोस्तो ये सोच लिया है
इसलिये मै केवल हंसी ओर प्यार की बात करता हूँ ।
न इशु की बात करता हूँ, न भगवान की बात करता हूँ
न गुरुओ की की बात करता हूँ, न कुरान की बात करता हूँ
जिन्दगी एक बार मिलती है इसे जी लो भरपूर
मै तो बस इन्सान ओर इन्सानियत की बात करता हूँ ।
न धरम की बात करता हूँ, न ईमान की बात करता हूँ
न ही पड़ोसी मुल्क जैसे किसी शैतान की बात करता हूँ
मेरा देश है हम सभी के लिये सबसे अजीम
मै भारत का बेटा बस हिन्दुस्तान की बात करता हूँ ।
न अपने खत की बात करता हूँ,
न प्रेमिका की चिठ्ठी की बात करता हूँ
न जाड़ो मे ताप फेंकती उस अंगीठी की बात करता हूँ
परदेस मे रहकर भी आती है मेरे शरीर से महक सौन्धी-सौन्धी
मै तो बस अपने देश की मिट्टी की बात करता हूँ ।
न तमिल तेलुगु की बात करता हूँ, न बंगाली की बात करता हूँ
न मलयालम की बात करता हूँ, न पन्जाबी की बात करता हूँ
न गुजराती की बात करता हूँ, न सिन्धी की बात करता हूँ
वैसे तो सारी भाषाये मेरी अपनी है
पर मै अपनी राष्टभाषा “हिन्दी” की बात करता हूँ।
न रात्रि की बात करता हूँ, न विहान की बात करता हूँ
न विधि की बात करता हूँ, न ही उसके विधान की बात करता हूँ
मै नागरिक, मैने पहुचाया है सन्सद मे इन नेताओ को
मै तो बस देश के सर्वो्च्च सम्मान की बात करता हूँ।
ध्यानचन्द ने जो हॉकी खेली मै उस गोल की बात करता हूँ
कपिल ने जो धार दिखाई मै उस बॉल की बात करता हूँ
क्रिकेट का भगवान जिसे कह्ते हैं
मै उस सचिन के रिकार्ड की बात करता हूँ
ओर दामिनी के केस मे जब छोटे-छोटे बच्चो ने न्याय माँगा
तो नन्हे-नन्हे हाथो से लिखे मै उस बोर्ड की बात करता हूँ ।
मै पतले-दुबले बापू की कद काठी की बात करता हूँ
मै गान्धी जी की लाठी की बात करता हूँ
जिस हवा ने अच्छे-अच्छों का रुख मोड़ दिया
मै उस आन्धी की बात करता हूँ
तुफान भी थम गया था जिसके आगे
मै उस इन्दिरा गान्धी की बात करता हूँ ।
न कृष्ण के चक्र की बात करता हूँ,
न अर्जुन के तीर की बात करता हूँ
न श्रीराम की मर्यादा की बात करता हूँ
न गुरु दश्मेश की शमशीर की बात करता हूँ
सीमा पर जो मर मिटा जो हेमराज-सुधाकर हमारे लिये
मै तो उस बान्के कुन्वर वीर-रणधीर की बात करता हूँ ।
शहीदो ने जो खून लिखी उस कहानी की बात करता हूँ
राज-सुखदेव-भगत सिन्ह जैसे वीरों की जवानी की बात करता हूँ
मिटा दी अश्फाक उल्ला खान ने इस देश पर जो
उस जिन्दगानी की बात करता हूँ
अरे 1857 की वो खूब लड़ी मर्दानी
झांसी वाली रानी की बात करता हूँ ।।
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गुरचरन मेह्ता
jab bhi kisi ne pyar se dekha mujhko mere dil ko cheno krar aaya,,,meine jab bhi dekha aina apne shakal ke shakas ko badshakal tadpata paya.. saar garbhit achchhi rachna!
bahut hi achchhi rachana hai ma veenavadini apko ashirvaad de lekin bhagvaan se prarthana hai ki aap kavita likhane me swayam ko asmarthya samjhe kyonki prayah kavita dil ki dard ka dusra roop hota hai