स्वास्थ्य रक्षक कविता…………4 (संग्रह)
इमली पत्ती पीसकर, लीजै नमक मिलाय |
मट्ठा के सग पीजिये, पेचिस देय मिटाय ||
नीम की पत्ती तोड़कर, मधुरस संग पिसाय |
फोड़ा ऊपर बांध दे, मव (पीब) को देत बहाय ||
हर्र बहेरा आँवला, घी शक्कर संग खाय |
हाथी दाबे कांख में, साठ कोस ले जाय ||
जो ताम्र के पात्र में, पिये रोज जल छान |
चर्म रोग सब दूर हों, मनुष्य होत बल्वान ||
पीली पात मदार (आक) में, दीजै घृत लगाय |
गरम-गरम रस डालिए कर्ण-रोग मिट जाय ||