नेता हो या अभिनेता, यथार्थ से दोनों दूर ही होता
पैसे लेकर चरित्र को जीता, उस चरित्र में खुद को जीता
नेता जो आश्वासन देता, तबतक जीवन अंतिम होता
लोक हित का भाषण देता, दूर –दूर तक पता न होता
कामनाओं की चिंतन करता, संकल्प का प्रण कभी न लेता
मन की चाहत पूरी करता, वेध निशाना औरों को कहता
बड़प्पन वो दिखा देता, संयम को वो गिरा देता
सत्ता का मद हवा देता, गरीबों को सजा देता
अधर में जो लटकती हो, भंवर में जो उलटती हो
उसी का नाम नेता है, हमारा देश ध्येता है
हमारी प्यास नेता है, हमारी आश नेता है
भारती दास
बहुत खूब
excellent poem