Homeएम० के० मधुप्रेम प्रेम के. एम. सखी एम० के० मधु 17/02/2012 No Comments देखता हूँ प्रेम बसंत की हर सुबह सरसों के पीले फूलों पर सुनता हूँ प्रेम हर बारिश में नन्हीं-नन्हीं बूंदों से महसूसता हूँ प्रेम हवाओं के ताल पर बिखरते तेरे गेसुओं में बाँटता हूँ प्रेम जीवन में आधा मुझे, आधा तुझे । Tweet Pin It Related Posts पत्थर की नदी गांठ मरहम About The Author के. एम. सखी Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.