रात का जादू चल जाएगा
जिस दम सूरज ढल जाएगा
सँभल के चलना सीख लें वर्ना
कोई तुझको छल जाएगा
बचपन के दिन याद आएँगे
जिस्म जवां जब ढल जाएगा
ग़म से हमने यारी करली
वक़्त बुरा अब टल जाएगा
अँगारे मत बोना घर में
घर आँगन सब जल जाएगा
दुनिया का दस्तूर ‘रज़ा’है
आज जो है वो कल जाएगा
सलीम रज़ा रीवा म.प्र. 25.01.13