Homeएकान्त श्रीवास्तवबीज से फूल तक बीज से फूल तक के. एम. सखी एकान्त श्रीवास्तव 17/02/2012 No Comments आ गया भादों का पानी काँस के फूलों को दुलारता और चैत की सुलगती दुपहरी में पड़ी है मन की चट्टान एक दूब की हरियाली तक मयस्सर नहीं तपो इतना तपो ओ सूर्य कि फट जाए दरक जाए यह चट्टान कि रास्ता बन जाए अंकुर फूटने का जीवन बीज से फूल तक यात्रा बन जाए । Tweet Pin It Related Posts नाचा पानी की नींद माँ About The Author के. एम. सखी Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.