Homeजनक देसाईनूर नूर janakdesai53 जनक देसाई 24/02/2013 No Comments है नूर ही ऐसा तेरी नज़र का, जैसे उजाला हो तू जहाँ भी है, हरपल, हरदिन हमें, इसी कारण तेरा इन्तज़ार रहता ही है | जनक Tweet Pin It Related Posts कलम से टपके सोच शायद, हम तुम्हे भूल भी पाए पल भर का करार About The Author janakdesai53 Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.