एक औरत के प्यार में तूमने,
माँ-बाप को भुला दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
अपनी नींद गवाँ के उसने,
आखिर तुमको सुला दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
एक तेरे भुख की खातिर,
उसने हाथों को जला दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
बस इंसान बनाने खातिर,
उसने तुमको दूर भेज दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
अपनी रोटी काट के उसने,
तुमको दूरभाष दिला दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
बस तेरे एक जिद्द की खतिर,
अपने आँसू को छुपा लिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
एक तेरी मुस्कान की खातिर,
तेरी मुहब्बत को अपना लिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
तेरे जीने की खतिर उसने,
अपने भविष्य को भुला दिया;
क्या ये सच है? तूमने,
अपने आप को भुला दिया…!!!
आजा उनका हाथ थाम ले,
उनकी आँखें थक चुकी है;
आजा उनका खयाल तो कर ले,
दरवाज़े पे आँख टिकी है…!!!
सभी माँ-बाप भगवान हैं,
उन्हें रौशन का प्रणाम है;
हम सिर्फ यहां रह रहें हैं,
दिल में उनका ही नाम है…!!!
ये दिल जीतनी बार टूटे,
उनका दिल ना तोड़ेंगे;
जब तक हम जिंदा रहेंगे,
उनको हम ना भूलेंगे…!!!
एक कविता कम पड़ेगी,
उनका गुणगान करने को;
जिंदगी भी कम पड़ेगी,
उनका हिसाब चुकाने को…!!!
………………धन्यवाद
————-रौशन कुमार सुमन
भाई बहुत अच्छी कविता लिखी आपने है