वही सुबहें , वही रातें
वही रिश्ते , वही नाते ।
वही रिश्ते , वही नाते ।
वही मंजिल वही राहें
वही हसरत ,वही चाहें ।
वही लोग ,वही बातें
वही मजूरी , वही खाते ।
वही दुबिधा , वही हालात
वही सोच , वही ख़यालात ।
वही काम ,वही काज़
कुछ अधूरे, कुछ पूरे ।
दोस्त, ग़र ये सब ना बदला
संभलना , ग़र ना संभला ।
या तो तू रह गया पीछे
या वक़्त निकल गया आगे ।