दलित शब्द इस देश का वह अभिशप्त तमगा है
जो एक बार माथे पर लग गया तो
सात जन्मों तक हट नहीं सकता ।जिसके नाम के साथ जुड़ गया
उसके चले जाने के बाद भी नहीं छूटता ।यह वह स्याही है जिसके लगने के बाद
बंदा दलित वर्ण में ही नज़र आता है ।
श्याम वर्ण के कल्लू पंडित
गौर वर्ण के दलित से गोरे नज़र आते हैं ।यह वह दाग है जो गंगा में लाखों डुबकियों
और समस्त तीर्थाटन के बाद भी नहीं धुलता ।
सात जन्मों तक हट नहीं सकता ।जिसके नाम के साथ जुड़ गया
उसके चले जाने के बाद भी नहीं छूटता ।यह वह स्याही है जिसके लगने के बाद
बंदा दलित वर्ण में ही नज़र आता है ।
श्याम वर्ण के कल्लू पंडित
गौर वर्ण के दलित से गोरे नज़र आते हैं ।यह वह दाग है जो गंगा में लाखों डुबकियों
और समस्त तीर्थाटन के बाद भी नहीं धुलता ।
दलित को निम्न बोला जायेगा
जबकि वह नींव की ईंट है ।
उसे कमज़ोर बोला जायेगा
जबकि वह सबको मजबूत बनाता है ।
उसे अछूत बोला जायेगा
जबकि वह बाकियों को साफ़ सुथरा करता है ।
दबा-कुचला कहा जायेगा
जबकि वह खुद दब कुचल कर भी
गर्व से सीना उठा कर चलता है ।
उसे बेशर्म कहा जायेगा
जबकि कहने वाला खुद बेपर्दा होता है ।
उसे सब कुछ कहा और समझा जायेगा
लेकिन अपनी तरह इंसान नहीं समझा जायेगा ।
सुन्दर कविता
ati sundar likha hai