हे मात वीणावादिनी, जय जय तुम्हारी भगवती
जय शारदे अम्बे शुभे, जय हो सुमाता भारती
तुम चन्द्रमा, रवि हो तुम्हीं
करुणेश सी छवि हो तुम्हीं
निर्झर तुम्हीं हो ज्ञान का
पर्वत सतत सम्मान का
उदगम सुरों का माँ तुम्हीं
तुम शब्द माँ अक्षर तुम्हीं
मन से उतारें आरती
जय शारदे अम्बे शुभे, जय हो सुमाता भारती
करती अभय का दान तुम
हरतीं सदा अज्ञान तुम
हो सृष्टि का श्रृंगार तुम
हरतीं धरा का भार तुम
सद्ज्ञान का भण्डार तुम
हो प्रगति का आधार तुम
वीणा सुकर में धारती
जय शारदे अम्बे शुभे, जय हो सुमाता भारती
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गुरचरन मेह्ता