माँ शारदे अम्बे शुभे, हमे ऐसा दो वरदान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
बल, बुद्धि, विद्या देना हमको , देना ज्ञान का सागर
कलम की ऐसी ताकत देना कि जग हो जाये उजागर
कुछ ऐसा करना हे मात मेरी – हो भारत का कल्याण
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
करुणेश सी छवि हे मात तुम्हारी दिल मे सदा ही बसी रहे
दिव्य ज्योति हो चेहेरे पर होठो पे सदा ही हंसी रहे
फिर सोने की चिड़िया कहलाये – मेरा देश महान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
सुबह का सुरज यूँ ही चहके, शाम यूँ ही ढलती रहे
हम रहें या ना रहें माँ लेखनी चलती रहे
शब्दों को ऐसी गति दे दो माँ – कलम रहे गतिमान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
खुशियाँ महकें हर पल, पल-पल, सदा देश के द्वारे
नीली छतरी वाला सबके काम ओर काज सँवारे
काल रात्रि ढक कर माता – दो एक नया विहान *
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
अज्ञानी को ज्ञान दो माता – हम बालक नादान
कलम उठे तो सच के लिये माँ – न समझे इसे दुकान
गरिमामय हो देश की महिमा – ऐसी दो पहचान
सबकी जुबां पर रहे हमेशा – मेरा हिन्दुस्तान
अपनों को हम प्यार करें – गैरों को दें सम्मान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
माँ शारदे अम्बे शुभे, हमे ऐसा दो वरदान
मेरी भारत-माता बन जाये सर्वशक्तिमान
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* विहान — सवेरा
गुरचरन मेह्ता