नव वर्ष की लालिमा से
पल तो रुकता नहीं
समय का अंश जो ठहरा
हर पल हर छण नया एहसास देता
उन पलों के संग संग
मन में ऐसा ठान लो
नव वर्ष की सांझ वेला में
सारे गमों को भुला दो
मादकता भरे जीवन को त्याग
सुखद अनुभव श्वासों में भर
नई दिलासा घर कर लेना
बीते वर्ष की टूटी कोई आशा
चूल्हे में भस्म व धूमिल कर लेना
नए भोर की स्वर्णिम किरणों से
नव सपनों को संचित कर लेना
सकारात्मक विचारों से अन्तर्मन को झँझोड़
अपने ईष्ट की अर्चना कर
कर्तव्य निभाने की मन में ठान लेना
जीवन की सारी अभिलाषा
पूरी हों विश्वास जगालो
इस नव वर्ष को सुनहरी याद बना लो
विश्वास की ज्वाला को
अपने तप से ज्योतिर्मय बनालो
क्यूँ की पल छ्णीक रुकता नहीं
इसे व्यर्थ इसे गंवाना नहीं
प्रतिदिन सुनहला प्रतीत हो
करूँ में प्रार्थना ईश्वर से
यह नव वर्ष तुम्हारी हर चाहत को
तुम्हारे ही कर्मों बल से
परिणाम स्वरूप अर्पण करे
हर पल नया …….. महकाए
अनुज भार्गव