तुम क्या गये
तुम क्या गए के मैं आधा चला गया
बीमार रह गया तिमार चला गया
उस के सीने में मेरे कुछ राज़ थे
राज़ रह गए राजदार चला गया
तुझ से वाबिस्ता थी जो शहर की रोंनके
एक तीरगी से रह गयी नूर चला गया
तेरी जिंदादिली की मिसाल तू खुद ही था
सिखा के जीने का हुनर चुपचाप चला गया
शायद तेरे दामन में खुशियाँ ख़त्म हो चली थी i
सब कुछ लुटा के खाली हाथ चला गया
तेरी बीवी तेरे मासूम बच्चे, बुजुग बाप
एक तुही सहारा था इन का सहारा चला गया
यह सब निज़ामे कुदरत ए- मुक्रिद है “ल ई क”
वह बेहतर जानता है क्यों यार तुम्हारा चला गया