About The Author
शिक्षा- एम.ए.( हिन्दी साहित्य ), बी.एड.।
संप्रति- शिक्षिका
अभिरूचियां-पठन-पाठन, लेखन, अभिनय, रंगमंच, पेन्टिंग, एवं सामाजिक गतिविधियों में रूचि।
प्रकाशन- प्रथम काव्य संग्रह ’’स्वप्न’’का प्रकाशन 1999 में। इसका लोकार्पण हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा विश्व पुस्तक मेले में किया गया। अनेक कविताओं, कहानियों का प्रकाशन विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में। एक अन्य कहानी संग्रह भी प्रकाशनाधीन। आकाशवाणी लखनऊ एवं गोरखपुर द्वारा कविता एवं कहानियों का सतत् प्रसारण।हिन्दी संस्थान लखनऊ, द्वारा प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक कविताएँ, कहानियाँ एवं बाल-सुलभ रचनायें प्रकाशित। विश्व हिन्दी पुस्तक मेला, लखनऊ, में अनेकों बार आमंत्रित अतिथि के रूप में काव्य पाठ।
काव्य संग्रह ’’स्वप्न’’ का प्रकाशन सन् 2009 में। इसका लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला, लखनऊ के मंच से किया गया। इस संग्रह में मेरी 72 कवितायें संकलित है
’’फागुन की हवाओं में ’’
मेरे घर से निकलने वाली
सड़क अब आम और महुए की गन्ध से
शराबोर होने लगी,
कोयल की कूक का अर्थ
अब मैं अच्छी तरह समझने लगी,
नदी की लहरों में
श्वेत बगुले
अपनी परछाइयों को देखते हुए,
उड़ जातें हैं,
फागुन की हवाओं में रंगों के साथ
तुम्हारी स्मृतियाँ भी,
घुलने लगी हैं।
(काव्य संग्रह ’’स्वप्न’’ में प्रकाशित)
"छोटी- सी चिडि़या "
घटा जब घिरती है, आता है सावन।
कलरव बिखेरती है, छोटी- सी चिडि़या।। .........
(उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा प्रकाशित पत्रिका बाल वाणी के जून2011 के अंक में प्रकाशित)
रूपहली शाम
सुबह फिर धूप निकलेगी
गुलमोहर के फूल फिर वहाँ
खिल जायेंगे
जहाँ, मैं और तुम मिलेंगे
पंक्षी शाम को लौटेंगे नीड़ में......
"भ्रम जैसा"
मैंने सोच लिया है अब
जब भी तुम याद आओगे /मुझे
मौसम के साथ
हवाओं के साथ
शरद की ओस भीगी
धूपहली सुबह के साथ
या फिर........
"विवश मैं"
तुम कहते हो, मैं
अपनी कविताओं में दुःख, चिन्ता
बेराजगारी, विद्रोह, अविश्वास को
उतारती हूँ
तुमने मेरी कविताओं में
एक खुशनुमा मौसम की
तलाश की, वो.......
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ के,रविवार 4सितम्बर 2011के अंक में प्रकाशित )
(’’ललिता ’’कहानी उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, द्वारा प्रकाशित पत्रिका साहित्य भारती के जून 2010 के अंक में प्रकाशित )
’’वो एक वमा हैं’’ कहानी समाचार पत्र डेली न्यूज एक्टिविस्ट के 24 जून, 2012 के रविवार के अंक में प्रकाशित।
’’एक पल’’ कहानी पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ, द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ’’प्रगति’’ के में प्रकाशित।
’सूर्योदय’’ कहानी पूर्वोत्तर रेलवे राज भाषा विभाग गोरखपुर, द्वारा प्रकाशित पत्रिका ’’रेल रश्मि’’ के दिसम्बर 2010 के अंक में प्रकाशित।
’’एक राजकुमारी’’ कहानी पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ, से प्रकाशित पत्रिका प्रगति के दिसम्बर 2010के अंक में प्रकाशित।
’’ नव-प्रभात’’ कहानी प्रगति के सितम्बर 2009 के अंक में प्रकाशित।
’’परिभाषा’’ कविता दैनिक समाचार-पत्र ’’अमर उजाला ’’के 10 जुलाई 2009 के अंक में प्रकाशित।
’’मिथ्या’’ कविता
साँझ ढ़ल रही है/धीरे...... धीरे......धीरे.......।
पीली गेंद-सा सूरज/वृक्षों के पीछे गिर गया।
ईंट मजदूरों की बस्ती में ............
(जनसंदेश टाइम्स के 2 जून 2011 के अंक में प्रकाशित)
’’सावन में ’’ कविता
श्रावण की ऋतु में कहीं धूप-कहीें छाँव है,
नदी के तट पर सोना-सा गाँव है।..............
(जनसंदेश टाइम्स के 20 जुलाई 2011 के अंक में प्रकाशित)
’’स्कूल चलो ’’ कविता
गया अंघेरा जाग गया जग
धूप आ गई है खिड़की पर
चीं-चीं कर चिड़यां बोली।...........
(जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के 30 दिसम्बर के अंक में प्रकाशित)
’’रन्नों ’’ कहानी जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के 5 अगस्त 2011 के अंक में प्रकाशित)
’’यह समय’’ कविता
तपिस है चहुँ ओर फेैेली
सुख की नही छाया है।.........
(जन संदेशटाइम्स के 25 जून 2011 के अंक में प्रकाशित)
’’उगता हुआ सूरज’’ कहानी राजभाषा विभाग पूर्वोत्तर रेलवे ़द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका प्रगति के जनवरी 2009 के अंक में प्रकाशित।
’’नई दिशायें’’ कहानी साहित्यिक पत्रिका प्रगति के सितम्बर 2010 के अंक में प्रकाशित।
’’गीली घास’’ कहानी साहित्यिक पत्रिका प्रगति के दिसम्बर 2009 के अंक में प्रकाशित।
आकाशवाणी लखनऊ एवं आकशवााणी गोरखपुर से कविताओं का समय-समय पर प्रसारण। युववाणी कार्यक्रम एवं अन्य में वार्ताओं, परिचर्चाओं में सहभागिता।
’’भीगे-से बादल’’ कविता
उमड़-घुमड़ कर आते बादल, पानी भर-भर लाते बादल
कभी धूप है- कभी छाँव है, /हरे-भरे सब खेत गााँव है/ यहाँ-वहाँ सर्वत्र घूमते/एक जगह नही उनका ठाँव है। ........ (जनसंदेस टाइम्स लखनऊ के 23 जुलाई 2011 के अंक में प्रकाशित।)
’’तुम्हारे गाँव में ’’ कविता
तुम्हारे गाँव में इस समय/अंग-अंग में सिहरन भर देने वाली /फागुनी बयार बह रही होगी/मैं कितनी उदास बैठी हूँ/ तुम्हारे गाँव में /महुए की गंध/ हृदय में एक अनुभूति भरती होगी/..............
जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के 17 अगस्त 2011 के अंक में प्रकाशित।
’’स्त्री महज देह नही है’’ शीर्षक के अर्तगत लेख
(जनसंदेश टाइम्स ,लखनऊ के 20 सितंबर 2011 के अंक में प्रकाशित।)
कहानी -
’’वह चल पड़ी’’जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ के 6 सितम्बर 2012 के अंक में प्रकाशित।
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 09/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
क्या बात है … रास्तों की इस रात को दिन के उजाले में उतारना होगा …
बहित खूब लिखा है …
बहुत ही बढ़िया
सादर
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना…..