ग़ज़ल gazal
सुब्ह रंगी शब् सुहानी हो गई
जब से उसकी मेह्ररबानी हो गई
आप की नज़रें इनायत क्या हुई
महकी – महकी ज़िन्दगानी हो गई
उसने देखा प्यार से बस इक नज़र
दिल पे उसकी हुक्म रानी हो गई
एक दोशीज़ा लिबासे सुर्ख में
महकी यूँ की रात रानी हो गई
आज अमृत की फुहारें यूँ पड़ी
सारी धरती धानी- धानी हो गई
जिसकी सुन्दरता पे सबको नाज़ था
वो इमारत अब पुरानी हो गई
ना ख़ुदा जब ज़िन्दगी का वो ” रज़ा ”
पार अपनी ज़िन्दगानी हो गई
– SALIMRAZA REWA 9981728122
बहुत खूब! सलीम भाई हर एक शेर उम्दा…
Thanks Ravi ji aapki muhabbat bani rahe