Homeअमीर खुसरूपरदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना शहरयार 'शहरी' अमीर खुसरू 17/02/2012 No Comments परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना। बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना। इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना। इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना। Tweet Pin It Related Posts अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद ढकोसले या अनमेलियाँ जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्या About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.