Homeअनूपलौटो लौटो Anup अनूप 11/12/2012 No Comments तुम लौटो, देखो यादों की गिरहें कैसे खुली हैं, ये सांस रुके तो जिंदगी को सांस आये, तुम्हारे लम्हों की उम्र ज्यादा हो | तुम्हारी हंसी बिखर जाती थी हरी घास पे यूँ, यूँ ही मैं कभी वो हंसी समेटकर अपने परिधान तृप्त कर देता था Tweet Pin It Related Posts तू बरसती क्यों नही? शायद मैं? About The Author anup.rulez Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.