तुम्हरे बाद
जब तुम न थे चाहत तुम्हारी थी
हर एक सिम्त आहट तुम्हारी थी
चोंक तो गया था दरे दिल पे उसे देख कर
बदलते बदलते बदली आदत तुम्हारी थी
तुम्हे चाहत इसकी उसकी जाने किस किस की
हमें मुहब्बत भी तुमसे अदावत भी तुम्हारी थी
जानते तो थे दरार किसने डाली थी हमारे दरमियाँ
शफ़क़त ऐ सुकूत ओ ज़हर्फ़ ऐ जात तुम्हारी थी