चूक जाने के बाद भी
बचा रहता है कजरौटे में
अंजन
जैसे सूखने के बाद
नदी की रेत में
बची रहती है
नमी
घोंसले में शेष रह जाते हैं
पक्षियों के पंख
तुम्हारे जाने के बाद भी
बचे हैं स्मृतियों के अवशेष
जैसे बन्जारे छोड़ जाते हैं
खुली जमीन में अपने
बसाहट के चिह्न