Homeशादाब अजिमाबादीरात ढलती रही चाँद जलता रहा…. रात ढलती रही चाँद जलता रहा…. shadab शादाब अजिमाबादी 21/11/2012 No Comments हया का रंग हुस्न पे चढ़ता रहा , फासला दरमियाँ और बढ़ता रहा , उनके चेहरे से नज़रें न हट सकीं , रात ढलती रही चाँद जलता रहा !! Tweet Pin It Related Posts कदम कदम पे इम्तेहान बहुत था…. ख्वाब तो ख्वाब हैं अक्सर टूट जाते हैं…… वो हाथ पकड़ कर चलता है…. About The Author शादाब अज़ीमाबादी Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.