शादी के समय क्या था और अब शादी के दस साल बाद क्या हो गया हूँ..
शरमा कर अब मुस्काने लगा हूँ, कभी था मैं बड़बोला
शबनम का कतरा बन गया, सब कहते थे मुझे शोला
अरे बर्फ सा ठंडा पड़ गया मैं कभी था आग का गोला
और घर की लस्सी बन गया मैं कभी था कोकाकोला
मेरे गाल में गड्डे पड़ गए, क्या थी गलों की लाली
मेरी आँखे अन्दर धंस गयी, कभी थी मदिरा की प्याली
पहले मैं गुनगुन भंवरा था, अब दो बच्चों का फादर
था लाल दुपट्टा मलमल का, अब हूँ मैली सी चादर
अरे शेरनी लेकर आया घर समझा था जिसे चुही
हर बात पे लड़ता मरता था अब लगता हूँ छुई-मुई
तलवार की धार के जैसा था अब सब बोलें हैं सुई
शेर दहाड़ थी अपनी अब हर बात पे बोलूं ऊई
शहद के जैसा मीठा था मैं, अब इमली सा खट्टा
व्हिस्की कि मैं बोतल था, अब हूँ मैं देसी मट्ठा
सूट-बूट के जैसा था अब हूँ कपड़े का लट्ठा
किससे ब्याह कर बैठा भैया मैं उल्लू का पट्ठा
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गुरचरन मेहता
kya baat hai bahut sahi …………..like