डॉ भावना कुँअर
1.
पल भर में
टूटकर बिखरे
सुनहरे सपने
किससे कहूँ
घायल हुआ मन
रूठे सभी अपने।
2.
हिरण बन
न जाने कहाँ गई
वो प्यार भरी बातें
फूटते अब
जहर बुझे बाण
जो हरते हैं प्राण।
3.
मन का कोना
ख़ुशबू नहाया -सा
सुध बिसराया- सा
न जाने कैसे
भाँप गया जमाना
पड़ा सब गँवाना।
4.
प्रातः- किरण
कह जाती चुपके
कुछ प्यारे- से छंद,
छलिया हवा
आहट बिन आती
भाव चुरा ले जाती।
5.
लड़ती रही
जीत की उम्मीद में
लहरों से हमेशा
यूँ फेंकी गई
भँवर के भीतर
चकराती ही रही ।
6.
खोते हैं हम
ज्यादा की चाहत में
दामन की खुशियाँ
गुज़रे वक़्त
रह-रह रुलाएँ
साजन की बतियाँ।
7.
प्रेम का घर
बड़े अरमानों से
बनाया था हमने
चढ़ गया वो
ले गाजे -बाजे संग
अहं की बेदी पर।
8.
किये थे वादे
निभाएँगे जीवन
बस तुम ही संग
मगर टूटा
झूठा प्यार का भ्रम
हिस्से में आया ग़म।
9.
तेरी चाहत
कुछ कम तो न थी
क्यूँ छोड़ा आशियाना
सूझी क्या मुझे
जो ढूँढकर लाई
निष्ठुर- सा घराना।
10.
तुम तो न थे
पत्थर से -कठोर
तोड़ते मेरी चुप्पी
तुम्हारा मन
यूँ देता था आवाजें
हो जाते थे विभोर।
11.
अरमानों पे
नुकीली औ दुधारी
चलाते गए आरी
जहर- बुझी
तुम्हारी ये बतियाँ
सुनकर मैं हारी।
12.
बेबस हम
भटकाती ही रही
वो यादों की सुरंग
तड़फे हम
गुज़रा हुआ वक़्त
पाने को हरदम।
13.
तोड़ता कौन
तिनका-तिनका जो
जोड़े गए घरौंदे
जानते सभी
कैसी ये मजबूरी
जो सभी बैठे मौन।
14.
कड़ा पहरा
यादों की बस्तियों में
छोड़े चिंगारी कौन?
अरमानों को
जला राख करती
देखती खड़ी मौन।
15.
काटे न कटे
पिया बिन ये रातें
मुश्किल हुआ जीना
पुकारे पीहू
करें किससे हम
दर्द लिपटी बातें।
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