डॉ०भावना कुँअर
1
दूर है पथ
थककर हैं सोए
यादों के पाखी ।
2
पागल हवा
उड़ाकर ले आई
यादों के खत।
3
मुड़ा-सा पन्ना
कह गया कहानी
वर्षों पुरानी।
4
खूब ही काते
चरखा ये यादों का
सूनी सी रातें।
5
लिपटी मिली
सीले कपड़ों संग
नरम यादें।
6
कोहरे जैसी
फैलती ही गईं वो
सर्द -सी यादें।
7
फाड़ते देखा
पुरानी तस्वीरों से
बीता वो कल।
8
खाए जो धोखे
यादों की कश्तियाँ ले
चुप निकले।
9
नन्हीं बच्ची -सी
कुनमुनाई हठी
चंचल यादें।
10
दौडती आई
चंचल हिरणी-सी
याद तुम्हारी।
11
ओस सजाती
हरियाली के माथे
यादों के मोती।
12
यादों की कश्ती
पीड़ा के सागर में
डूबी उतरी।
13
समाए बैठी
दीवारों की दरारें
आँसू की नमी ।
14
ओढ़ के सोई
विरह की रातों में
यादों की लोई।
15
मिटा न पाए
जख़्म, जो दिए तूने
सिलते जाएँ।
16
मैंने छिपाए
तस्वीरों में जो खत
कौन चुराए ?
17
यादों की थाती
मन के अँधेरों पे
काबू पा जाती ।
18
बसाया मैंने
यादों भरा नगर
तुझे खोकर।
19
यादों के मृग
जलते मन पर
छोड़ें फफोले
20
ऐसी भड़की
यादों की चिंगारियाँ
झुलसा मन।
21
स्मृति उकेरे
ख़ौफ़नाक वक़्त के
डरे चेहरे।
22
सुधियाँ जागीं
तिरस्कृत रही मैं
बनी अभागी।
23
मन -गठरी
छटपटाती यादें
निकल भागें।
24
चिकनी रेत
फिसल गईं यादें
मीन के जैसे
25
सूखे पत्ते -सी
चूर-चूर बिखरी
सहेजी यादें।
26
घुलती रही
साँसों में रातभर
यादों की गंध।
27
सँजो के रखी
यादों की कतरनें
तकियों पर।
28
सावन आये
पर मन का कोना
सूखा ही जाये।
29
खूब सताएँ
यादों के ये तीतर
हाथ न आएँ।
30
यादों के पाखी
आये जब मिलने
सोया था मन।
31
उड़ान भरे
जब याद परिंदा
रहे न जिंदा।
32
राह तकते
पलकें करें बात
सारी ही रात।
33
बनजारे-से
मतवाले ये नैन
छीनते चैन।
34
यादों की जब
चुनरी लहराई
फूटी रुलाई।
35
यूँ खोलो मत
भूली-बिसरी हुई
यादों के ख़त।
36
दर्द का रथ
आहों से भरे ज़ख़्म
खींचते रहे।
37
मन के द्वार
यादें देती दस्तक
महके प्यार ।
38
अपनी यादें
सितारे बनाकर
टाँक दी मैंने।
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