Homeअभिज्ञातहवा में उछलते हुए हवा में उछलते हुए शहरयार 'शहरी' अभिज्ञात 16/02/2012 No Comments हवा में उछलते हुए गेंद उछल रही है उससे पहले मेरे टखने एड़ियाँ पंजे गेंद में देख रहे हैं मेरे पैर अपनी उछाल मेरे पैर गेंद के अन्दर हैं पैर को यूँ उछलता देख बेचैन होता है मेरा सिर देने के लिए-शाबाशी कोई देख सकता है मुझे यूँ हवा में उछलते हुए। Tweet Pin It Related Posts दरमियाँ मैं ज़रूर रोता सिलसिला रखिए About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.