दर्द को अपने से कभी रुखसत न कीजियें
दर्द का सहारा तो बस जीने के लिए हैं …
पी करके मर्जे इश्क में बहका न कीजियें
ख़ामोशी की मदिरा तो बस पीने के लिए हैं…
फूल से अलगाब की ख्शुबू न लीजिये
क्या प्यार की चर्चा ,बस मदीने के लिए है ….
टूटे है दिल ,टूटा भरम, और ख्बाब भी टूटे हुयें
ये सारी चीज़े उम्र भर सीने के लिए हैं……
वक़्त के दरिया में क्यों प्यार के सपनें बहें
क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए हैं ….
ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना