Homeअभिज्ञातपा नहीं सकते पा नहीं सकते शहरयार 'शहरी' अभिज्ञात 16/02/2012 No Comments दूर हम तुमसे जा नहीं सकते शर्त ये भी है पा नही सकते किसी को अपने आँसुओं का सबब लाख चाहे बता नहीं सकते जिस पे लिक्खी है इबारत कोई हम वो दीवार ढा नही सकते उसको रिश्तों से है नफ़रत शायद कोई रिश्ता बना नहीं सकते Tweet Pin It Related Posts सिलसिला रखिए हँसी की तासीर होने सा होना About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.