Homeअभिज्ञातएक अदहन हमारे अन्दर एक अदहन हमारे अन्दर शहरयार 'शहरी' अभिज्ञात 16/02/2012 No Comments हम जो कि एक साथ पूँछ और मूँछ दोनों की चिंता में एक साथ व्यग्र हैं बचाते हैं अपना घर। जिस पर हम सारी उम्र पतीले की तरह चढ़ते हैं। एक अदहन हमारे अन्दर खौलता रहता है निरंतर। Tweet Pin It Related Posts मल्लाहनामा तुम चाहो हवा में उछलते हुए About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.