सब कुछ छुपा लेते हो सुन के हलकी सी आहट,
साफ दिखती मौत आने से पहले की घबराहट,
शाम को जाते हो सोने खोल दरवाजे के पट
रात बीत जाती है बदलते हुए करवट ।
जतन किये जा रहे हो जिनके मोह में,
चार दिन ही रोयेंगे वह तेरी विछोह में ,
चार कंधे ही ले जायेंगे दो हरे बासों पर,
कब्र थोड़ी ही है इतिहास की घासों पर।
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 17/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बहुत खूबसूरत रचना | नवरात्रि की शुभकामनायें |