Homeरौशन पाठकउम्र तमाम नाकाम रहा । उम्र तमाम नाकाम रहा । Raushan Pathak रौशन पाठक 28/09/2012 3 Comments उम्र तमाम नाकाम रहा । हर दाव पै किस्मत आजमाता रहा , हर बार हार कर पछ्ताता रहा हारा हुआ जुआरी बदनाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । अब-अब कह- कह उम्मीद बँधी थी । किस्म्त मे जंजीर बँधी थी । भारी मेरे ह्ल्के मन पर, हार का ईल्जाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । सफलता आ-आ छू कर निकल गई बँधी मुटठी से जैसे रेत निकल गई मिला क्या ? कुछ नही पाने का बस नाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । ख्वाबो मे अरमानो का महल बना था मैने लक्ष्य जरा ॐचा रखा था एक सिढी भी नसीब ना हुई ऐसा मेरा मकाम रहा । उम्र तमाम नाकाम रहा । अंधेपन का होने लगा आभास मुझे इतना मन मे अंधकार भरा था उम्मीद भरे जीव्न मे मेरे सुबह को भी शाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । सौ राह मिले हर राह मे बस दौड्ता रहा, कही पहुचा नही था दौड भाग का जीवन एक पल भी ना विश्राम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । शान मे था सर ॐचा उठाये जब तक सपनो मे था खुद को डुबाये और हकीकत मे सिर को झुकाये करता सदा सबको सलाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । शराफत से थी पहचान मेरी ईमान और र्धम से था सम्मान बना भोला-भोला कह कर लूटा सबने, यही मेरा ईनाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । कही पडा हूँ ठोकर खाता जिसने लूटा वही पह्चान ना पाता आवारा, अजनबी,लावारिश कहते ऐसा मेरा अंजाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । दुःख मे मेरा एक ही था साथी मेरा लिये तो सबसे अच्छा था वो पाशी गम मे साथ मेरे उसी का झुठा जाम रहा उम्र तमाम नाकाम रहा । अंधेरे मे जनमा रौशन अंधेरे मे अवसान हुआ अंधो की दुनिया मे देखो भाई रौशन का क्या दाम रहा । उम्र तमाम नाकाम रहा । Tweet Pin It Related Posts जाने कितनी बार मै जिन्दा भी नही दिल और जला ले मेरा About The Author Raushan Pathak Born on 06.09.1986, in Madhubani District in Bihar. A Chartered Accountant, working with a Public Co. currently staying in Bilaspur (Chhatisgarh) 3 Comments Sri Prakash Dimri 03/10/2012 बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति गजल के रूप में…… Reply sangeeta swarup 03/10/2012 बहुत खूब …. Reply anand 21/05/2013 रचना बेहद खूबशूरत है । Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति गजल के रूप में……
बहुत खूब ….
रचना बेहद खूबशूरत है ।