जितना जाना जिंदगी को,
बस इतना ही जाना है जाना……
कुछ भी नहीं है जानने को,
बस वो पाया जिसने जो माना….
सारे पोथे, सारी बातें,
मन को बहलाने का खेला….
जिसका मन बहले है जिस से,
वो समझे उसने वो जाना……
बातों से ही तो बनी है दुनिया,
बातें तेरी मेरी और सबकी…….
बातों की मोहब्बत, झगडे बातों के,
सच में तो सबको है जाना…..
मानो तो जादू का पिटारा,
या मानो जंगल वीरान……
जिसने जो माना वो दुनिया उसकी,
सच तो फिर भी कोई न जाना…..
– गौरव संगतानी